जीएसटी परिषद के हालिया फैसले ने आम जनता को बड़ी राहत दी है। अब तक अलग-अलग वस्तुओं और सेवाओं पर जीएसटी की दरें 5 प्रतिशत से लेकर 28 प्रतिशत तक फैली हुई थीं, जिससे उपभोक्ता और व्यापारी दोनों ही भ्रमित रहते थे। लेकिन परिषद ने टैक्स ढांचे को सरल बनाने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए केवल दो स्लैब – 12 और 28 प्रतिशत – रखने का निर्णय लिया है। यह कदम न केवल प्रणाली को पारदर्शी बनाएगा बल्कि गरीब और मध्यम वर्ग के लिए राहतकारी भी साबित होगा।
सबसे बड़ा फायदा रोजमर्रा की वस्तुओं और खाने-पीने की चीजों पर जीएसटी दर में कमी के रूप में सामने आएगा। जब आवश्यक वस्तुएं सस्ती होंगी, तो सीधे तौर पर गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों का मासिक बजट संतुलित होगा। त्योहारों के मौसम में इस तरह की राहत उपभोक्ताओं के उत्साह को भी बढ़ाएगी और बाजार में मांग को मजबूती मिलेगी।
इसके अलावा स्वास्थ्य और जीवन बीमा सेवाओं पर जीएसटी खत्म करने का निर्णय अत्यंत सराहनीय है। मध्यम वर्ग लंबे समय से इस बोझ से परेशान था। अब बीमा प्रीमियम सस्ते होंगे और अधिक लोग स्वास्थ्य और जीवन बीमा लेने के लिए प्रोत्साहित होंगे। इससे सामाजिक सुरक्षा का दायरा बढ़ेगा और देश में वित्तीय सुरक्षा मजबूत होगी।
उद्योग जगत की दृष्टि से देखें तो कम स्लैब का अर्थ है आसान टैक्स अनुपालन। व्यापारी और छोटे कारोबारी अक्सर जटिल दरों और तकनीकी खामियों के कारण परेशान रहते थे। दो स्लैब की व्यवस्था से कर चोरी की गुंजाइश भी घटेगी और सरकार को राजस्व संग्रहण अधिक पारदर्शी तरीके से मिलेगा।
हालांकि चुनौतियां भी सामने आएंगी। उच्च कर स्लैब में आने वाली वस्तुओं पर बोझ बढ़ने की संभावना है। विलासिता की वस्तुओं और कुछ सेवाओं पर 28 प्रतिशत जीएसटी उपभोक्ताओं को खल सकता है। लेकिन इस श्रेणी के लोग अपेक्षाकृत सक्षम होते हैं और समाज के कमजोर वर्गों की राहत की तुलना में यह बोझ छोटा है।
अर्थव्यवस्था पर व्यापक प्रभाव की बात करें तो इस कदम से मांग बढ़ेगी, उत्पादन में तेजी आएगी और रोजगार के अवसरों में वृद्धि होगी। सरल टैक्स प्रणाली विदेशी निवेशकों के लिए भी भारत को और आकर्षक बनाएगी।
कुल मिलाकर, जीएसटी में दो स्लैब का फैसला एक दूरगामी सुधार है। यह न केवल गरीब और मध्यम वर्ग को राहत देगा, बल्कि टैक्स प्रणाली को सरल और प्रभावी बनाने में भी मील का पत्थर साबित होगा। यह कदम “सबका साथ, सबका विकास” की दिशा में सरकार का ठोस प्रयास है, जो भारत की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों तक ले जाने की क्षमता रखता है।
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